ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान के चितंन और लेखन से मेरा पुराना परिचय है उनके चिंतन लेखन की विकास प्रक्रिया को मैंने करीब से देखा है ।
प्रत्येक व्यक्ति सोचता है लेकिन सोच उसका श्रेष्ठ होता है । जो समाज को एक नई दिशा दे सके, रास्ता दिखा सके । आज ऐसे लोगो का अकाल नहीं तो 3भाव जरूर है। ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान उन विचारकों में से एक है जो इस आभाव को कम कर रहे है । ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान की प्रवृत्ति सदैव जागे । रहने और जगाते रहने की रही है। मन कर्म वचन से बेहद जागरूक हनुमान जी की लेखनी ने सर्व समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलन्द की है तो कही सामाजिक न्याय के पक्ष में जनमत जुटाया है । कहीं उनकी लेखनी लोकतंत्र पर चर्चा करती नजर आती हैं तो कही अध्यात्म और धर्म चर्चा में लीन हो जाती हैं। कही ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान जी लेखनी नैतिकता का पाठ पढाती हुई लगती है। तो कही कन्या भ्रूण हत्या क्यों, आतंकवाद के खिलाफ सिंह गर्जना करती है। लेकिन एक बात जरूर है, विषय कोई रहा हो, कोई घटना रही हो, ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान जी लेखनी ने हमेशा साकात्मकता को ही प्रश्रय दिया है। नाकारत्मक सोच को भी साकात्मकता प्रदान करना ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान जैसे चिंतक विचारक के ही बस की बात है। ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान के अन्दर की सरस्वती कृपा उनके लेखों में साफ चमकती है । वह समाज के सीधे, सच्चे रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता हुआ लगता है। उनके अन्दर एक परशुराम जहाँ गलत काम के लिए समाज को लताड़ता हुआ लगता है वहीं दुसरी और सही कामो के लिए सरहाता हुआ मिलता हैं। ब्रह्मऋषि विभूति बी. के. शर्मा हनुमान विभिन्न समय पर महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं समस्या को लेकर बेबाक टिप्पणी की, उनका विवेचन किया और सटिक सामाधान प्रस्तुत किया ब्रह्मऋषि विभूति बी.के. शर्मा हनुमान ने अपने परिवार, अपने समाज, अपनी जाती, अपने राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण एवं त्याग का परिचय देकर एक आदेश प्रस्तुत किया है। और समय समय पर समाज के प्रति आवाहन भी किया हैं। ब्राह्मणों उठो जागो, एक साथ चलो, एक साथ बोलो, हम सभी का एक मन हो, एक आवाज हो !